ko

मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

एक झलक का इंतजार

बेपनाह चाहत मेरी,
सब्र से इंतजार है।
हर लम्हे में याद तेरी,
एक झलक को बेताब हैं|

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें