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दिल की बाते
प्रेम ही जीवन का आधार हैं
शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017
कविता
भोर हुई रे ऊपर वाले सुबह का रवि अभी दिखा नही रे
आ रही है एक आशा किरण दुनिया वाले पर तुझमें आशा दिखी नही रे
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