ko

शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

सच बोलना भी...


नही आता है हमको
झूठ बोलने का हुनर
सच ने हमसे 
न जाने कितने रिश्ते छीन लिए

हम तो जिंदगी में पहले ही तन्हा थे
तुमने अकेला छोड़ कर कोनसा
कमाल कर दिया

इस तन्हाई का हम पर बड़ा अहसान है
ना देती साथ ये तो ना जाने
हम कहा जाते

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें