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मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018

मैं हूँ तुमसे दूर

मैंने कुछ लफ्ज़ लिखे हैं सुबह की किरणों पर...
तुम्हारे शहर से गुज़रे तो पढ़ लेना...

मैंने कुछ याद भेजी है पंछियोंके साथ
छत की मुंडेर पर बैठे तो महसूस करना..!

मैंने सारा प्यार भेजा है चाँदनी के साथ
खिड़की में किरणें पड़े तो भीगना उनमें..!

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